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मध्यप्रदेश का किसान जहरीली मूंग उगाता है, खाता नहीं

Waman Pote

MP का किसान जहरीली मूंग उगाता है, खाता नहीं:कीटनाशक पौष्टिक मूंग को बना रहा जहर, एक्सपर्ट से जानिए कितना खतरनाक है इसे खाना

भोपाल।।

जो मूंग दाल सबसे पौष्टिक मानी जाती है, वो अब जहरीली होती जा रही है। प्रदेश में मूंग की जितनी भी खेती होती है, उसका आधे से ज्यादा हिस्सा नर्मदापुरम संभाग में उग रहा है, लेकिन यहां के किसान पूरी फसल को 2 महीने में पकाने के लिए चार बार और 12 घंटे में सुखाने के लिए एक बार कीटनाशक छिड़क रहे हैं। इससे फसल का दाना तो हरा बना रहता है, लेकिन वो हार्वेस्टर से आसानी से कट जाती है।

अभी प्रदेश में 9 लाख हेक्टेयर में 1 करोड़ 35 लाख क्विंटल मूंग पैदा करने के लिए किसान यही तकनीक अपना रहे हैं। इससे न केवल सरकार परेशान है, बल्कि कृषि वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि ये जहरीली फसल जमीन को 10 साल में बंजर बना देगी।
बड़ी बात है कि कृषि मंत्री कमल पटेल भी किसानों से इस जहर की खेती को बंद करने की बात कर रहे हैं, लोगों को ऐसे जहर की खेती न करने का संकल्प दिला रहे हैं, लेकिन इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रहे। जबकि किसान खुद स्वीकार कर रहे हैं कि वो जो मूंग उगा रहे हैं- वे भी इसे नहीं खाते।
बीलाखेड़ी के किसान प्रफुल्लदास महंत कहते हैं कि 25 एकड़ में मूंग लगी है। एक एकड़ में 7 क्विंटल मूंग चाहिए तो दवाई तो डालना पड़ेगी, कोई दूसरा रास्ता नहीं है। जुझारपुर के किसान विजयबाबू चौधरी का कहना है कि हम ये मूंग नहीं खाते। गुनौरा के यज्ञदत्त गौर, जल उपभोक्ता समिति के अध्यक्ष नवल पटेल कहते हैं कि इस मूंग को कैसे खा सकते हैं। ये जहरीली है।
हमारी नस्लें खराब हो जाएंगी
ये फसल नहीं जहर है। मैं तो हर सभा में किसानों को समझा रहा हूं कि कीटनाशक की ऐसी खेती हमारी नस्लें खराब कर देगी, लेकिन किसान है कि मान ही नहीं रहे हैं। सरकार ही कोई ठोस कदम उठाए।
– सीतासरन शर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और होशंगाबाद विधायक
क्यों डालते हैं कीटनाशक
किसान मूंग की बोवनी देरी से करते हैं और जल्दी फसल उगाने के लिए बार-बार कीटनाशक डालते हैं। जैविक खेती में मूंग की फसल 2 महीने में तैयार हो जाती है, लेकिन आधी फसल इल्लियां खा जाती हैं या फिर झड़ जाती है। कीटनाशक डालने से पैदावार 95% तक हो जाती है।

RANTRANILIN PROLE (क्लोरिन ट्रानिलिन प्रोल) और थायो मैथाक्सम कीटनाशक हर 10 दिन में फसल पर छिड़का जाता है।

इसमें पहली दवा इल्ली मार और दूसरी मच्छर-मक्खी मारती है। दोनों का घोल छिड़कते हैं।

पैराक्यूट 2 बार डालते हैं। एक बार बोनी के 20 दिन बाद और दूसरी बार फसल सुखाने में।

नर्मदापुरम में 4 लाख हेक्टेयर में मूंग, कृषि मंत्री खुद मान रहे- ये जल्दबाजी ले डूबेगी

देश में सबसे ज्यादा मूंग का उत्पादन नर्मदापुरम संभाग में है। अभी यहां 5 लाख हेक्टेयर में गेहूं और 4 लाख हेक्टेयर में मूंग उग रही है। अगले साल 5 लाख हेक्टेयर में होगी।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने भास्कर से कहा कि इस बार गर्मी ज्यादा पड़ी तो किसानों ने ज्यादा कीटनाशक डाला। मैं तो किसानों को संकल्प दिला रहा हूं कि ये जहरीली खेती न करें। अभी नहीं रुके तो पंजाब जैसे हालात होंगे। कोरोनाकाल जैसी कैंसर रोगियों की भरमार होगी।



100% किसान जहरीली मूंग उगा रहे, 10 साल बाद हर घर में मिलने लगेंगे कैंसर रोगी

नर्मदापुरम के कृषि सहायक संचालक सुनील कुमार धोटे के मुताबिक जमीन के जैविक तत्व जल रहे हैं। यहां के 100% किसान जहरीली मूंग उगा रहे हैं। 10 साल में ये क्षेत्र पंजाब बन जाएगा। हर घर में कैंसर रोगी होगा।

नर्मदापुरम में कृषि उपसंचालक जेआर हेडाऊ कहते हैं कि वैकल्पिक फसल का रास्ता कुछ कमाई और जमीन उपजाऊ रखने के लिए था, लेकिन किसानों ने जो तरीका अपनाया, वो घातक है।

सतर्क रहें.. बीमारियां पैदा कर रहे कीटनाशक
रासायनिक खाद का असर जमीन में जाने के बाद पानी पर, जानवरों के चारे पर, दूध पर भी हो रहा है। एक बार कीटनाशक डालने पर इसका 5 साल तक मिट्‌टी में असर खत्म नहीं होता है। मूंग के साथ अभी जो हो रहा, उस पर तत्काल बैन लगाना चाहिए वरना खून, लिवर, किडनी और कैंसर जैसी बीमारियां पैदा हो जाएंगी। डॉ. अमित कुमार शर्मा, एग्रीकल्चर साइंटिस्ट, कृषि विवि, जबलपुर
भोपाल: प्रमोद कुमार
https://dainik-b.in/tin1z4Nv5pb

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