अब भारतीय वैज्ञानिकों की मदद से फ्रांस अपने लिए बना रहा है कृत्रिम सूरज, टलेगा संकट
नकली सूरज बनाने के करीब पहुंचे वैज्ञानिक, अपार ऊर्जा का रास्ता होगा साफ
अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगात्मक रिएक्टर (ITER) प्रॉजेक्ट के लिए बहुत ही शानदार खबर है।
वॉशिंगटन: दुनियाभर में साफ और स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को हासिल करने के लिए पानी की तरह से पैसा बहाया जा रहा है। आलम यह है कि अब चांद से हीलियम-3 लाने की भी चर्चा तेज हो गई है। इस बीच वैज्ञानिक धरती पर एक ऐसे सूरज को बना रहे हैं जो अनंतकाल तक इंसान की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर सकेगा। फ्रांस के सेंट पॉल लेज दुरांस इलाके में इस सूरज को बनाने में 35 देशों के हजारों की तादाद में वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। यह सूरज एकबार जब बनकर तैयार हो जाएगा तब मानव इतिहास का सबसे बड़ा संकट खत्म हो जाएगा। यही नहीं जलवायु परिवर्तन के कहर से जूझ रही धरती को भी इस महासंकट से मुक्ति मिल जाएगी। इसके जरिए मात्र 1 ग्राम परमाणु ईंधन से 8 टन तेल के बराबर ऊर्जा का निर्माण किया जा सकेगा
ये वैज्ञानिक परमाणु संलयन पर अपनी बादशाहत हासिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि उस पर अपनी बादशाहत हासिल की जा सके। परमाणु संलयन वही प्रक्रिया है जो हमारे असली सूरज और अन्य सितारों में प्राकृतिक रूप से होती है। हालांकि यह प्रक्रिया धरती पर दुहराना उतना आसान नहीं है। परमाणु संलयन के जरिए जीवाश्म ईंधन के विपरीत असीमित ऊर्जा मिलती है। अच्छी बात यह है कि परमाणु संलयन में जरा भी ग्रीन हाउस गैस नहीं निकलती है। साथ ही परमाणु विखंडन के जरिए अभी पैदा की जा रही ऊर्जा से निकलने वाले रेडियो एक्टिव कचरे से भी मुक्ति मिल जाएगी। इससे निकलने वाली ऊर्जा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मात्र 1 ग्राम परमाणु ईंधन से 8 टन तेल के बराबर ऊर्जा को पैदा किया जा सकेगा।
ब्रिटेन ने परमाणु संलयन से हासिल की ऊर्जा
इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब यह सच साबित हो सकता है। इससे पहले फरवरी में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 5 सेकंड तक ऑक्सफर्ड के पास 59 मेगाजूल परमाणु संलयन पर आधारित ऊर्जा को पैदा करने में सफलता हासिल की थी। इस ऊर्जा को टोकामैक मशीन के जरिए बनाया गया था। इस ऊर्जा की मदद से एक घर में एक दिन बिजली की सप्लाइ की जा सकती थी। वहीं इसे बनाने में इससे भी ज्यादा ऊर्जा खर्च हुई थी। हालांकि वैज्ञानिकों की मानें तो यह अपने आप में एक ऐतिहासिक मौका था। इससे यह साबित हो गया कि परमाणु संलयन को कर पाना वास्तव में धरती पर संभव है। ब्रिटेन की सफलता फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगात्मक रिएक्टर (ITER) प्रॉजेक्ट के लिए बहुत ही शानदार खबर है।