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गुरु पूर्णिमा पर डागा फाउंडेशन ने लिया गुरुजनों का आशीर्वाद, 951 गुरुजनों के निवास पर जाकर किया सम्मान

By वामन पोटे बैतूल वार्ता

गुरु पूर्णिमा पर डागा फाउंडेशन ने लिया गुरुजनों का आशीर्वाद, 951 गुरुजनों के निवास पर जाकर किया सम्मान

बैतूल।। जन्म देने वाली मां के बाद गुरु का दर्जा सबसे बड़ा माना गया है। गुरु ही है जो बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक अपने शिष्यों का भविष्य संवारकर उन्हें जीवन में नई रोशनी प्रदान करते हैं। ऐसी महान हस्तियों के सम्मान भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अनिवार्य होते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाली संस्था डागा फाउंडेशन  अपना यह कर्तव्य कभी नहीं भूलती।
बुधवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर डागा फाउंडेशन परिवार ने सम्पूर्ण बैतूल विधानसभा में निवास कर रहे 951 गुरुजनों के घर पहुंचकर उनका आत्मीय सम्मान  किया। इसके साथ ही उनके हाल चाल जानकर आशीर्वाद प्राप्त किया। डागा फाउंडेशन परिवार ने भविष्य निर्माता गुरुजनों को शाल ओढ़ा कर एवं श्री फल प्रदान कर उनके दीर्घायु और हमेशा स्वस्थ रहने की ईश्वर से कामना की। ग्राम रोंढा में फाउंडेशन परिवार के सदस्य तरुण कालभोर ने ग्राम में निवास कर रहे समस्त सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया।
सम्मान पाकर अभिभूत हुए गुरुजन
वर्ष 2015 से शिक्षा के क्षेत्र में डागा फाउंडेशन द्वारा शुरू किया गया यह कार्य आज जिले में एक मिसाल कायम कर रहा है। फाउंडेशन उन गरीब और कमजोर तबके के बच्चों के भविष्य के लिए निरंतर काम कर रहा है, जो बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते अपने सपनों की उड़ान नहीं उड़ पाते। फाउंडेशन के इसी उद्देश्य के चलते आज कई गरीब बच्चे अभाव में होने के बावजूद फाउंडेशन के प्रोत्साहन और मदद के चलते एक निश्चित मुकाम हासिल कर रहे हैं। इसकी झलक गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुजनों द्वारा मिले आशीर्वाद के रूप में नजर आई।
घर पहुंचे तो नहीं रहा खुशी का ठिकाना
डागा फाउंडेशन परिवार जब गुरुजनों का सम्मान करने उनकी चौखट पर पहुंचा तो गुरुजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। गुरुओं का कहना था कि, हमारे जन प्रतिनिधि निलय डागा और डागा फाउंडेशन की संचालक श्रीमती दीपाली डागा द्वारा समाज के गरीब तबके के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उठाया गया यह पहला नि:स्वार्थ कदम बेहद प्रशंसनीय है। इसके सफल परिणाम भी धरातल पर दिख रहे हैं। प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुजनों के घर पहुंचकर हमारा सम्मान करना फाउंडेशन का दूसरा अनुकरणीय कार्य है, जो हम शिक्षकों के दिल को गहरा सुकून देता है।
भविष्य निर्माता होने पर होता है गर्व
इस दौरान इन गुरुजनों ने दिल को झंझोड़ने वाली बात भी कही। वह यह कि सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकांश यादें समय के साथ-साथ धूमिल होती जाती हैं। लेकिन, गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जब डागा फाउंडेशन परिवार उनका सम्मान करने घर पहुंचता है, तब हमें अपने भविष्य निर्माता होने पर गर्व महसूस होता है। साथ ही दिल को एक अनजान सुकून भी मिलता है। इस पावन पर्व पर समस्त सेवानिवृत्त शिक्षक एवं शिक्षकाओं ने डागा फाउंडेशन परिवार के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

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