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शिवराज का घर बना BJP का वॉर रूम:गड़बड़ी पता लगते ही हेलिकॉप्टर से जाएंगे कमलनाथ; MP में आज 11 निगम, 133 निकायों का फैसला

By वामन पोटे बैतूल वार्ता

शिवराज का घर बना BJP का वॉर रूम:गड़बड़ी पता लगते ही हेलिकॉप्टर से जाएंगे कमलनाथ; MP में आज 11 निगम, 133 निकायों का फैसला

भोपाल।।

मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के पहले चरण में हुए 11 नगर निगम समेत 133 निकायों का चुनाव का परिणाम आज यानी रविवार, 17 जुलाई को आएगा। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के हिसाब से बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव सेमीफाइनल की तरह है। पहले चरण में कम वोटिंग (59%) हुई। जिसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की टेंशन बढ़ा दी। यही वजह है कि मतगणना पर दोनों नेताओं की पैनी नजर रहेगी।
रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने निवास पर अस्थाई कंट्रोल रूम से जिलों के नेताओं के संपर्क में रहेंगे, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी अपने बंगले पर वॉर रूम बनाया है। यहां लीगल सेल की टीम मौजूद रहेगी। हालांकि उन्होंने अपना हेलिकॉप्टर भी तैयार रखा है, ताकि किसी जिले से मतगणना के दौरान गड़बड़ी की खबर आती है, तो भोपाल से तत्काल पहुंचा जा सके। भाजपा ने मंत्रियों और विधायकों को अपने-अपने जिले में काउंटिंग के दौरान मौजूद रहने की जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्री, विधायकों के अलावा ट्रेंड प्रोफेशनल्स को मैदान में उतारा गया है।

उत्साह ज्यादा, आत्मविश्वास कम

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदान का प्रतिशत कम होने और मतदाताओं की उदासीनता से किसी भी दल को नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि दोनों ही दल खुलकर दावे नहीं कर पा रहे। अपनी जीत की बात तो कह रहे हैं, मगर उनके बयानों में उत्साह ज्यादा और आत्मविश्वास कम है।

शिवराज Vs कमलनाथ

चुनाव प्रचार में शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ ने एक-दूसरे को कांटे की टक्कर दी। दोनों नेताओं ने अपनी ताकत का अहसास कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्योंकि वे निकाय चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर ले रहे हैं। बड़े राजनीतिक दलों के लिए चुनाव में जीत और हार दोनों महत्वपूर्ण हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ के फेस पर फाइट कर रही है, तो बीजेपी के पास शिवराज सिंह चौहान हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान सत्ता गंवा चुके थे। हालांकि जोड़-तोड़ की बदौलत वो एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। वैसे, 2015 में हुए चुनाव में ज्यादातर निगमों पर बीजेपी का कब्जा रहा था। इस चुनाव में कांग्रेस उन्हें छीनने की जुगत में लगी रही।

पहले से बीजेपी जीतती आ रही सीटें

नगर निकाय चुनाव में प्रदेश के दो बड़े नेताओं (शिवराज और कमलनाथ) का भविष्य छिपा है। 2015 में हुए चुनाव में सभी 16 निगम में बीजेपी के मेयर चुने गए थे। 7 साल बाद हो रहे चुनाव में कैल्कुलेशन कितना कामयाब होगा, ये शिवराज के लिए चुनौती है। निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं। हालिया बारिश की वजह से लोगों के घरों में पानी घुसा। बदइंतजामी से अगर लोगों का मूड खराब हुआ होगा, तो शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ा सेटबैक हो सकता है। कांग्रेस की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वो तात्कालिक मुद्दों का कितना फायदा उठा पाई है।

नगर पालिका-परिषद अध्यक्ष के लिए तोड़फोड़

नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष के लिए तोड़फोड़ की संभावना है। बीजेपी ने इसकी रणनीति बना ली है। मुख्यमंत्री निवास पर 15 जुलाई को देर रात तक वरिष्ठ नेताओं की बैठक चलती रही। इस दौरान तय किया गया कि निकायों में अध्यक्ष बनाने के लिए बहुमत बनाने का दारोमदार प्रभारी मंत्रियों को सौंपा गया है।

प्रभारी मंत्री, संगठन के जिला और संभाग प्रभारी, जिलाध्यक्ष, विधायक-सांसदों के साथ तय करेंगे कि जहां भाजपा समर्थक या अन्य में कोई तोड़फोड़ की संभावनाएं दिखेंगी, तो वहां के निर्वाचित सदस्यों को सुरक्षित जगह ले जाया जाएगा।

जबलपुर, इंदौर, सागर, उज्जैन व सिंगरौली पर फोकस

जानकार मानते हैं कि 16 में से 5 नगर निगम को लेकर कांग्रेस-बीजेपी का फोकस ज्यादा है। कांग्रेस को लगता है कि जबलपुर, इंदौर, सागर, उज्जैन व सिंगरौली महापौर पद उसके खाते में आ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए कमलनाथ ने इन शहरों में मतगणना के दौरान मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है। इसी तरह बीजेपी ने भी इन शहरों में कब्जा बरकरार रखने के लिए अपनी फील्डिंग जमा दी है।

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