जानें कौरव पांडव पुष्प के बारे में..:पुष्प में कुल 108 पत्तियां, अभिषेक करने पर मिलता है 108 बार का फायदा
बैतूल/मुलताई
उत्तराखंड की घाटियों में पाया जाने वाला कौरव पांडव पुष्प (कृष्ण कमल) एक युवक ने मुलताई में भी लगाया है। इस पुष्प की बेला युवक के बगीचे में जमकर फैल रही है। इस फूल को लेने के लिए बड़ी संख्या में युवक के पास लोग पहुंच रहे हैं। इस फूल का अपना पौराणिक महत्व है। ऐसे में सावन के महीने में भगवान शंकर के अभिषेक के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है।
मुलताई नगर में महाकाल ढाबा के संचालक विजय बोबडे ने बताया कि उनकी नर्सरी में उन्होंने यह बेला उत्तराखंड से लाकर लगाई थी, जो अब जमकर फैल गई है। इस पुष्प से एक बार भगवान शिव का अभिषेक करने पर 108 बार अभिषेक हो जाता है। इस पौधे को लगाने वाले महाकाल ढाबे के संचालक विजय बोबड़े ने बताया कि रात लगभग 12:00 बजे यह पुष्प अपने आप बंद हो जाता है। सुबह होने पर अपने आप खिल जाता है।
क्यों कहते हैं कौरव-पांडव पुष्प
एक कृष्ण कमल में पूरा महाभारत समाहित है। पुष्प की बनावट में बैंगनी पत्तियों की संख्या पूरी 100 है, जो कौरवों की है। इसके बाद उसके ऊपर पांच हरे बीज हैं, वे 5 पांडव के प्रतीक हैं। इसके बाद तीन छोटे-छोटे पिंड हैं, वह ब्रह्मा-विष्णु-महेश के प्रतीक हैं। वह पुष्प के केंद्र में विराजमान हैं, वे साक्षात भगवान सुदर्शन कृष्ण स्वरूप हैं।
1 बार अभिषेक से मिलता है 108 बार का पुण्य
कृष्ण कमल के पौधे में सबसे अनोखे और बेहद खूबसूरत दिखने वाले फूल हैं। इसे अंग्रेजी में Passion Flower के नाम से जाना जाता है। महाभारत से सादृश्य होने से इस पौधे का धार्मिक महत्व भी है। पुष्प में कुल 108 पत्तियां हैं, इससे में एक बार पानी भरकर इससे अगर शिव का अभिषेक किया जाए, तो 108 धाराएं इसकी पंखुड़ियों से निकलती है। ऐसे में एक बार में ही 108 बार भगवान शंकर का अभिषेक हो जाता है।
खासकर उत्तराखंड में मिलता है पुष्प
उत्तराखंड में यह विशेष तौर पर पिंडारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुंड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ तक यह पुष्प पाया जाता है। भारत के अन्य भागों में इसे और भी कई नामों से पुकारा जाता है। जैसे- हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल कहा जाता है।