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धूमधाम से मनाई चरणदास स्वामी की 320 वीं जयंती

By बैतूल वार्ता 942500

धूमधाम से मनाई चरणदास स्वामी की 320 वीं जयंती
भगवान श्री कृष्ण के अशांवतार थे चरणदास जी
जयंती पर हुए भजन कीर्तन, पूजा अर्चना
बैतूल। भार्गव समाज बैतूल की प्रतिवर्ष की परम्परानुसार इस वर्ष भी चरणदास जयंती पर की जाने वाली प्रात:कालीन आरती का कार्यक्रम समाज के सदस्य जितिन – प्राची भार्गव के गंज, बैतूल स्थित निवास पर आयोजित किया गया। भार्गव समाज के अधिकांश सदस्यों ने सपरिवार उपस्थित होकर पूजा-अर्चना कर प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर चरणदास स्वामी की आकर्षक झांकी सजाई गई।
इस अवसर पर वरिष्ठ सदस्य गोपाल भार्गव ने संत चरणदासजी स्वामी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्री चरणदास जी एक युग पुरूष के रूप में उस समय अवतरित हुए थे जबकि आसुरी गुण प्रधान यवनों के पांच सौ वर्षाे के निरंतर अत्याचारों से हिंदु धर्म जर्जरित अवस्था को प्राप्त हो चुका था एवं शिक्षा के अभाव में पाखंडी एवं स्वार्थी लोगों ने समाज को अंधविश्वास में धकेल दिया था। वे 18 वीं शती के पूर्वाध में जन्में एक अदभुत ज्ञान एवं सिद्घि-संपन्न लोकनायक थे। उनकी इस अलौकिकता को पहचान कर ही मुगल सम्राट मोहम्मद शाह, आलमगीर द्वितीय और शाह आलम द्वितीय तथा नादिर शाह जैसे क्रूर आक्रमणकारी उनके सामने नत मस्तक हुए थे। उन्होंने श्री कृष्ण के अंशावतार के रूप में जन्म लिया था और वे भगवान कृष्ण की भक्ति के प्रति समर्पित थे।
सभा के वरिष्ठ सदस्य सुधीर भार्गव ने बताया कि चरणदास महाराज ज्ञान, साहित्य एवं विद्वता में निपुण थे। अपने जीवन काल में उन्होंने लगभग 21 ग्रंथ एवं वाणियो का श्रजन किया। उन्होंने फलदायी चमत्कारों से बिना किसी जातपात के भेदभाव के सबकों प्रभावित कर हिन्दूधर्म की रक्षार्थ ‘शुक सम्प्रदायÓ की स्थापना की और सारे उत्तरी भारत में घूम-घूम कर भक्ति के प्रचार प्रसार का कार्य किया। इस अवसर पर महिला सभा की दीप्ति, सुनीता, दीपा, मीरा, रेणु, रश्मि और समाज के शैलेन्द्रनाथ, गोपाल, दीपक, अनिल, बाबू, मनोज, सुधीर, मयंक, निधिष, चेतन आदि मौजूद थे। अंत में सभी सदस्यों ने आयोजन हेतु जितिन – प्राची भार्गव को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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