बैतूल से भोपाल ले गए तेंदुआ शावक को साधारण चोटें नहीं, टूटी है रीढ़ की हड्डी
वन विहार भोपाल में चल रहा इलाज, पिछला हिस्सा हुआ लकवाग्रस्त
बैतूल।।
बैतूल में दो पेड़ के बीच फंसे तेंदुआ शावक की रीढ़ की हड्डी टूट गई है। जिससे उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। वन विहार भोपाल में इलाज के दौरान इसका खुलासा हुआ है। पिछले 31 अगस्त को बैतूल के मोवाड के जंगल में तेंदुआ दो पेड़ों के बीच फंसा पाया गया था। जिसका सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के दल ने रेस्क्यू किया था। बैतूल का वन अमला फिलहाल भोपाल से रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
जांच में खुलासा हुआ है की बैतूल से वन विहार नेशनल पार्क में लाए गए तेंदुआ शावक को साधारण चोटें नहीं है। बल्कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है। रीड् की हड्डी का जुड़ पाना असंभव जैसा है। तब भी वन्यप्राणी विशेषज्ञ और डाक्टरों का दल उसे बचाने में जुटा हुआ है। बताया जा रहा है की उसका कमर का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है।
पेड़ से नीचे गिरने की आशंका
वन्यप्राणी विशेषज्ञ डा. अतुल गुप्ता और राज्य पशु चिकित्सालय के डा. सुनील कुमार तुमड़िया समेत अन्य की मौजूदगी में तेंदुए को बेहोश कर एक्सरे किया गया। रिपोर्ट में रीढ़ की हड्डी टूटने की पुष्टि हुई है। यह शावक बैतूल के दक्षिण वन मंडल की आमला रेंज में दो पेड़ों के बीच फंसा मिला था। रिपोर्ट आने के बाद अधिकारी आशंका जता रहे हैं कि शावक पेड़ के ऊपर से गिरा है, जिसके कारण हड्डी टूटी है। दो पेड़ों के बीच की दूरी को फांद कर गुजरने की कोशिशों में रीड की हड्डी टूट पाना असंभव लगता है।रीढ़ की हड्डी टूटने का यह पहला मामला है। डीएफओ दक्षिण ने बताया की फिलहाल उन्हें वन विहार से रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। संभावना है की बंदर का शिकार करते हुए यह शावक पेड़ से गिरा हो।जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई हो। ऑफिसियल रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद घटना की जांच शुरू की जाएगी।हालाकि इस घटना में किसी मानवीय दखल की संभावना कम है क्योंकि घटनास्थल से वन चौकी महज दो किमी दूर है। ग्रामीणों का भी वन अमले को सहयोग मिलता है।
पहली बार सामने आया मामला
उधर वन्यप्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि पहली बार इतने छोटे शावक की हड्डी टूटने का मामला सामने आया है। इसके लिए अलग-अलग राज्यों के डाक्टरों से बातचीत करेंगे, शावक की रीढ़ की हड्डी जोड़ पाने के जो संभव तरीके हो, उन पर काम किया जाएगा। फिलहाल छह दिन तक उसे स्थिर रखकर संभावित सुधारों की समीक्षा करेंगे। पार्क के डाक्टर अतुल गुप्ता ने मीडिया को बताया कि इतने छोटे शावक की रीढ़ हड्डी टूटने का उनके रहते पहला मामला है, जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। इसके प्रत्येक पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं। कोशिश तो यही है कि शावक को किसी तरह बचाया जाए। अब इसमें कितना सफल होंगे, यह फिलहाल कह नहीं सकते। वैसे अलग-अलग राज्यों के अधिक अनुभवशील विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे हैं। यदि कोई अच्छा उपाय मिला तो उसे अपनाएंगे।डाक्टरों के मुताबिक शावक डाइट ले रहा है, जो कि एक सामान्य शावक की तरह ही है। जिसकी वजह से उसे बड़ा सपोर्ट मिल रहा है। यदि वह डाइट लेना भी बंद कर देता तो फिर दिक्कतें हो सकती थी। शावक के आगे के पैर पूरी तरह ठीक है।