पं.प्रदीप मिश्रा बोले-मैं विधर्मियों से डरने वाला नहीं:मंदसौर की बेटियों को देह व्यापार से जोड़ने के बयान पर मांगी माफी; विरोधियों पर भड़के
By बैतूल वार्ता
पं.प्रदीप मिश्रा बोले-मैं विधर्मियों से डरने वाला नहीं:मंदसौर की बेटियों को देह व्यापार से जोड़ने के बयान पर मांगी माफी; विरोधियों पर भड़के
आशोकनगर।।मंदसौर में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा से पहले छिड़े विवाद को लेकर पंडित मिश्रा भड़क उठे। उन्होंने कहा कि शिवमहापुराण की कथा जहां होती है, वहां पहले बहुत समस्याएं आती हैं। कल से (26 सितंबर) मंदसौर में कथा होने वाली है। वहां भी परेशानियों का क्रम जारी है। क्योंकि जब तक कथा शुरू नहीं हो जाती तब तक ये विधर्मी कैसे न कैसे आग लगाएंगे। वे आग लगाकर सनातन धर्म को तोड़ेंगे।
पंडित मिश्रा ने अशोकनगर की कथा में कहा कि- विधर्मी चाहते हैं पुरुष, महिला, माता, बहन और बुजुर्ग एक साथ-एक जगह इक्ठ्ठा न हों। विधर्मी लगे हैं, कैसे नवयुवकों को तोड़ा जाए, कैसे नवयुवतियों को तोड़ा जाए। मेरी कथा फिर काशी में है, भीकनगांव में है, वहां भी ऐसे ही होगा। विधर्मी तो सबसे ज्यादा मेरे पीछे लगे हैं, कैसे महाराज जी को तोड़ा जाए, किसी भी तरह से इनको नीचे किया जाए।
दरअसल अशोकनगर में हो रही कथा में पंडित मिश्रा ने मंदसौर जिले में देह व्यापार में लिप्त बच्चियों का जिक्र करते हुए उनका उचित लालन-पालन करने की बात कही थी। जिसके बाद से मंदसौर के लोग खासे नाराज हैं। यहां तक की साधु-संत भी उनका विरोध कर रहे हैं। पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णानंद का कहना है कि संत समाज और आम लोग पंडित मिश्रा की कथा का बॉयकॉट करें। हालांकि रविवार को कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने अपने बयान के लिए क्षमा मांग ली। बता दें, 26 सितंबर से मंदसौर में पंडित मिश्रा की शिवमहापुराण की कथा शुरू हो रही है।
पंडित मिश्रा ने अशोकनगर में कथा के दौरान कहा था कि मंदसौर जिले के अंतर्गत छोटी-छोटी लड़कियां-बेटियां देह व्यापार करती हैं।
जानिए किस बयान के कारण हो रहा पंडित मिश्रा का विरोध
अशोकनगर के कार्यक्रम में पंडित मिश्रा ने कहा था कि शिवपुराण की कथा का नाम मंदोदरी शिवमहापुराण रखा गया है ताकि शिव भक्त मंदोदरी के नाम से कम से कम उस क्षेत्र की बेटियां सुधर सकें। उन्होंने कहा था, ‘मंदसौर जिले के अंतर्गत छोटी-छोटी लड़कियां-बेटियां देह व्यापार करती हैं। उस देह व्यापार को रोकने के लिए और उस देह व्यापार को रोककर उन बेटियों को पढ़ाना-लिखाना और उनको अच्छी परवरिश देकर उनका घर बसाने के लिए ये पावन मंदोदरी शिवमहापुराण की कथा रखी है।’ यहां पंडितजी ने जिन लड़कियों का जिक्र किया वो बाछड़ा समुदाय से आती हैं, जिनसे कम उम्र में देह व्यापार कराया जाता है।
26 सितंबर से मंदसौर में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा शुरू होने वाली है।
पंडित मिश्रा बोले-सनातन धर्म को टूटने नहीं दूंगा
पंडित मिश्रा ने उनके बयान पर हो रहे विरोध के जवाब में अशोकनगर की कथा में कहा कि – विरोधियों को ये नहीं पता कि पंडित मिश्रा जी के पिता ने चने का ठेला लगाया है। हम स्कूल भी जाते थे और ठेला चौराहे पर भी ले जाते थे। मैं साइकिल के पीछे बिस्किट के पैकेट और माचिस के बंडल बांधकर घर-घर एजेंसी का माल बेचता था। पंडित प्रदीप मिश्रा मुहं में चांदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुआ है, उसके घर में तो स्टील तक के बर्तन नहीं थे। मेरी मां ने मिट्टी के दीए में मुझे दूध पिलाया है। मैं विधर्मियों से डरने वाला नहीं हूं। उन्हें अगर लगता है कि वे मुझे डरा देंगे कि मंदोदरी क्यों लिखा, तर्पण क्यों लिखा, ये क्यों लिखा, वो क्यों लिखा। टेंशन में नहीं जीना, मिट्टी के दीए में दूध पीकर बड़ा हुआ हूं और चने का ठेला लगाकर पिता के साथ काम किया है। वापस चने का ठेला लगा लूंगा, पर सनातन हिंदू धर्म के लिए जिउंगा।
बड़े-बड़े मठों में बैठकर, भगवा कपड़े पहनकर ये मत सोचना कि महाराज डर जाएगा, ये सोचकर मत बैठे रहना। आपको AC वाले कमरे पसंद हैं, हमें जमीन पसंद हैं। हम बचपन में लंगर खाने जाते थे, मैं आज भी भंडारे में खाना खा लेता हूं, जब मन होता है। मैं कल आ रहा था, भंडारा हो रहा था, यहां आने में लेट हो रहा था, लेकिन मैंने गाड़ी से हाथ बाहर निकाला, दाल-चावल लिया और रास्ते में खाते-खाते आ गया। तुम चांदी की थाली में खाना खाते हो, मैं मिट्टी में बैठकर खाना खाता हूं। कुछ भी कर लो सनातन धर्म को टूटने नहीं दूंगा, बड़े मुश्किल से सनातनियों को इक्ठ्ठा किया है। इन्हें एक किया है, सबको शिवमंदिर में लेकर एक किया है।
मैंने मंदसौर की बेटियों के लिए नहीं, मंदसौर क्षेत्र के लिए कहा था। लेकिन अगर मंदसौर की बेटियों को मेरी मां और मेरी बहनों को मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो आपका ये भाई, बेटा व्यास पीठ से क्षमा मांगता है। आप सभी खुश रहें, इससे बढ़कर मुझे कुछ नहीं चाहिए।
पंडित मिश्रा का बयान सामने आने के बाद मंदसौर के लोग नाराज थे। उन्होंने कहा था कि इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
लोग बोले- उन्हें माफी मांगनी चाहिए
नीमच बाल कल्याण समिति की प्रमुख प्रीति बिड़ला ने पंडित जी के बयान के बाद मांग की है कि उन्होंने जिस तरह से मंदसौर की बेटियों-बहनों का अपमान किया है, इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए और अपने शब्द वापस लेना चाहिए। मंदसौर के लोगों ने भी पंडित मिश्रा से सवाल पूछा है कि दुनियाभर में मंदसौर भगवान पशुपतिनाथ के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन पंडित जी को मंदसौर की ये पहचान किसने बताई।
पीठाधीश्वर ने की कथा बायकॉट की मांग
पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णानंद का कहना है कि पंडित जी जहां कथा करने जाते हैं, अगर वहां का इतिहास उन्हें नहीं पता है तो वहां के लोगों से पूछ लेना चाहिए। लेकिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने तो मंदसौर की गलत पहचान बताने के साथ मातृशक्ति का भी अपमान किया है। उन्होंने अपील की है कि साधु-संत और पूरा मंदसौर प्रदीप मिश्रा की कथा का बायकॉट करे।
रविवार को अपने बयान के लिए क्षमा मांगते हुए पं. मिश्रा ने कहा, मैंने मंदसौर की बेटियों के लिए नहीं, मंदसौर क्षेत्र के लिए कहा था। लेकिन अगर मेरी किसी बात का बहनों-बेटियों को बुरा लगा हो तो आपका ये भाई, बेटा व्यास पीठ से क्षमा मांगता है।
रावण की पत्नी थीं मंदोदरी, मंदसौर था मायका
मंदोदरी रामायण का पात्र और पंच-कन्याओं में से एक हैं। इन्हें चिर-कुमारी कहा गया है। मंदोदरी मयदानव की पुत्री थीं और मंदसौर उनका मायका था। मंदोदरी का विवाह लंकापति रावण के साथ हुआ था। मंदोदरी सदा अपने पति रावण को अच्छी सलाह देती थीं। मंदोदरी की गिनती भी सती और धर्मात्मओं में की जाती है। इनकी गणना भी पंचकन्याओं में की जाती है। मंदसौर का असली नाम दशपुर था। इसी वजह से मंदसौर में रावण को पूजा जाता है।
अशोकनगर में कथा सुनने उमड़ी भारी भीड़
पंडित मिश्रा फिलहाल अशोकनगर में है। जहां की नई कृषि उपज मंडी परिसर में चल रही तर्पण शिव महापुराण के दौरान शनिवार को भीड़ का रिकॉर्ड टूट गया। इस दौरान इतनी भीड़ उमड़ी कि परिसर में पैर रखने तक की जगह नहीं मिली। पंडाल फुल हो जाने के बाद श्रद्धालु कथा के लिए बनाए गए शेड पर चढ़ गए। यहां भी जगह कम पड़ी तो लोग लोहे के एंगल पर जा बैठे। कई लोग पानी के टैंकर और फायर ब्रिगेड पर चढ़ गए। कथा में शामिल होने के लिए उमड़ी भीड़ को संभालने के लिए पुलिस को सुबह से लेकर देर रात तक मशक्कत करनी पड़ी। स्थिति यह रही कि दोपहर 12 बजे के बाद तो कई लोग मंडी परिसर ही नहीं जा सके।
मंदसौर के पीजी कॉलेज ग्राउंड में सीहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से पशुपतिनाथ शिव महापुराण कथा का वाचन 26 सितंबर से होगा। इस दौरान बड़ी संख्या में कथा श्रवण करने के लिए आसपास के जिले व राजस्थान से भी श्रद्धालु आएंगे। इनके लिए ग्राउंड में 3 डोम तैयार किए हैं। प्रवेश और निकासी के लिए समिति ने परिसर के चारों तरफ 9 गेट तैयार किए हैं। आयोजन की सारी व्यवस्था पूरी कर ली गई है । ग्राउंड में 3.20 लाख वर्गफीट का पंडाल तैयार किया गया है।
अशोकनगर में शिवमय हुए श्रद्धालु
अशोक नगर में 19 सितंबर से पहली बार शिव महापुराण की कथा का आयोजन हुआ है। सोमवार को 1 बजे से जैसे ही कथा प्रारंभ हुई तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु नवीन कृषि उपज मंडी पहुंचे। वहां पर शिव महापुराण की कथा में श्रद्धालु लीन हुए दिखाई दिए। साथ ही कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के भजनों पर श्रद्धालु जमकर नाचे। इस कथा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंचे।
सीहोर में कुबेरेश्वर धाम की झांकी प्रथम
अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर परंपरागत रूप से निकलने वाली झांकियों का कारवां देर रात्रि से सड़कों पर निकलना शुरू हुआ। जहां एक-एक कर सभी झांकियां निकलने लगीं। अखाड़ों के साथ निकल रही इन झांकियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग शहर के मेन रोड पर पहुंचे। इस मौके पर सर्वश्रेष्ठ झांकियों में प्रथम पुरस्कार पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम की झांकी को दिया गया।
पंडित मिश्रा बोले- भक्त कभी निर्धन नहीं होता
भगवान का भजन करने वाला, जाप करने वाला कभी निर्धन नहीं हो सकता, सुदामा तो भगवान के मित्र थे, यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। पंडित मिश्रा ने कहा कि जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता। व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या के संबंध में उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना, दैनिक कार्यो से निवृत होकर यज्ञ करना, तर्पण करना, प्रतिदिन गाय को रोटी देने के बाद स्वयं भोजन करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं।
साभार:: दैनिक भास्कर