विकास से कोसों दूर है ये 5 गांव: किसानों की नहीं बिकती फसल और ना बच्चे पहुंच पाते स्कूल, मजबूर होकर सांसद से मिले ग्रामीण
These 5 villages are far away from development: farmers do not sell crops and children do not reach school
आमला(दिलीप पाल)। एक तरफ जहां सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, वही आमला ब्लॉक मुख्यालय से सटे होने के बावजूद आज भी कुछ गांव विकास से कोसों दूर है। यहां पर किसान ना तो अपनी फसलों को उचित दाम पर बेच पाते हैं, ना विद्यार्थी स्कूल पहुंच पाते है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से मांग कर-कर के थक चुके ग्रामीणों ने सांसद से मिलकर अपनी समस्या बताइ और गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की मांग की है।
आजादी को 75 साल लेकिन अब तक नहीं बनी पक्की सड़क
सरकार भले ही गांवों के विकास को लेकर कितने भी दावे कर दें, लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग है। आजादी के 75 साल बाद भी कई गांवों में पक्की सड़क तक बन सकी। गांवों का रास्ता आज भी कच्चा और पथरीला है और ग्रामीण इन्हीं रास्तों से आना-जाना करते है। यह हाल है ब्लाक मुख्यालय से सटी आदिवासी बाहुल्य ग्राम बारंगवाड़ी, मोहनढाना, गोपालढाना, बीसीघाट डामन्या, भालदेही का, जहां ग्रामीणों को 12 महीने कच्ची सड़क से होकर ही गंतव्य स्थान तक पहुंचना पड़ता है। कच्ची सड़क के कारण सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को उठानी पड़ती है। किसान अनाज की पैदावार तो कर लेते हैं, लेकिन किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है, क्योंकि अनाज मंडी तक नहीं ले जा पाते, वहीं खरीदार अनाज खरीदने गांव नहीं पहुंच रहे हैं, जिसके चलते गांव के किसानों को मजबूर होकर औने-पौने दामों में उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीण कमलेश यादव, रामा धुर्वे, रूकमा धुर्वे ने बताया कि गांव के लोगों सहित छात्र-छात्राओं को स्कूल आदि जगहों पर पहुंचने के लिए मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़ता है, लेकिन इस ओर पंचायत के जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है।
कांटो भरा 8 से 10 किमी का रास्ता
बारंगवाड़ी, मोहनढाना, गोपालढाना, बीसीघाट डामन्या, भालदेही का रास्ता कांटों से कम नहीं। यह इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि इन गांवों तक पहुंचने के लिए एकमात्र कच्चा रास्ता है, जो बारिश में पूरी तरह से दलदल में तब्दील हो जाता है। जगह-जगह गड्ढे और जलभराव के चलते बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते, जो बच्चे स्कूल जाने के लिए अपने घर से निकले उन बच्चों की ड्रेस खराब हो जाती थी। कई बार नदी पर तेज बहाव के कारण बच्चों को वापस लौटना पड़ता है। सबसे बड़ी बात यह है कि बारंगवाड़ी में हाई स्कूल है और इन गांवों के बच्चे यहां तक पैदल रास्ता तय करते है। बारिश में कीचड़ के कारण पैदल चलने वालों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
किसानों को नहीं मिलता उपज का वाजिब दाम
कच्ची और उबड़-खाबड़ सड़क के कारण किसान अपनी उपज लेकर मंडी तक नहीं पहुंच पाते। जिसकी वजह से किसानों को उपज का सही और वाजिद दाम नहीं मिल पाता। किसान रूकमा धुर्वे, आराम धुर्वे, फकीरा बोदेकर, किंनजा कुमरे ने बताया कि कच्चा रास्ता होने के चलते ट्रेक्टर चालक अनाज भरकर ले जाने के लिए तैयार नहीं होते, वहीं व्यापारी भी सड़कों के अभाव में गांवों तक पहुंचने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। जिसकी वजह से किसानों को अपना अनाज औन-पौने दामों में ही बेचकर संतुष्ट होना पड़ता है। जिससे किसानों को हर साल नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सांसद को सौंपा ज्ञापन, पीएम सड़क बनाने की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि प्रधानमंत्री सड़क के माध्यम से बारंगवाड़ी, मोहनढाना, गोपालढाना, बीसीघाट डामन्या, भालदेही गांवों को एक-दूसरे से जोड़ा जाये और पक्की सड़क का निर्माण कराया जाए, ताकि ग्रामीणों का आवागमन 12 माह सुचारु रुप से हो सके। जिसके लिए ग्रामीणों ने जनपद सदस्य केवल धुर्वे के नेतृत्व में बैतूल-हरदा सांसद को ज्ञापन भी सौंपा है। ग्रामीण रामकली कुमरे,रामसिंह आहके, रवीना धुर्वे ने बताया कि 8 से 10 किमी का लंबा रास्ता पक्का हो जाता है तो इन गांवों में आना-जाना सुगम हो जायेगा और ये गांव भी विकास की धारा से जुड़ सकेगे। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क बनाकर इन गांवों को एक-दूसरे को जोडऩे की मांग की है।
इनका कहना है …
9 किलोमीटर लंबा मार्ग का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क अथवा लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाना सम्भव होगा। इस सम्बंध में वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव प्रेषित किया जाएगा।
दानिश अहमद खान सीईओ आमला