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नलजल योजनाएं बंद पीने पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण

जल जीवन मिशन के तहत गांवों में हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए किए गए कार्य अधूरे

नलजल योजनाएं बंद पीने पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण

बैतूल। जिले में मई महीने की शुरूआत होते ही भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आने लगी है। इससे गांवों में पेयजल के मुख्य स्त्रोत हैंडपंप हवा उगलने लगे हैं। अप्रैल माह में ही जिले के विभिन्ना गांवों में स्थित 615 हैंडपंपों ने पानी उगलना ही बंद कर दिया है। इसके अलावा 17 नलजल योजनाओं ने भी जल स्तर नीचे चले जाने के कारण दम तोड़ दिया है। पीएचई विभाग के अधिकारी अब तक किसी भी गांव में पेयजल परिवहन की नौबत न आने का दावा कर रहे हैं लेकिन कई गांव ऐसे हैं जहां के लोग खेतों या अन्य जल स्त्रोतों से करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर पानी का इंतजाम कर रहे हैं।

हालत यह है कि जल जीवन मिशन के तहत गांवों में हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए किए गए कार्य अधूरे हैं और कई जगह जल स्त्रोत ही सूख गया है। ऐसे में ग्रामीण फिर पुराने हाल पर लौट आए हैं। चार दिन पहले ही आमला विकासखंड के ग्राम उमरिया में ग्रामीणों ने पेयजल संकट से परेशान होकर पंचायत के समक्ष खाली बर्तन लेकर प्रदर्शन किया। ग्रामीण महेंद्र चौहान ने बताया कि उमरिया में नल-जल योजना स्वीकृत हुई है और ठेकेदार ने पाइप लाइन बिछा दी है। दो नलकूप का खनन भी किया गया है लेकिन अब तक टंकी और संपवेल का निर्माण नहीं कराया गया। गांव में आधे घंटे ही पानी की सप्लाई की जा रही है जिससे कई घरों तक तो पानी पहुंच ही नहीं पाता है। ग्रामीण वर्षों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा उसका हल नहीं किया जा सका है।

615 हैण्डपंप हो गए बंदः
नल-जल योजनाओं के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में हैण्डपंप बंद हो चुके हैं। पीएचई विभाग के मुताबिक वर्तमान में जिले में कुल 12733 हैंडपंप हैं जिसमें से 615 हैण्डपंप बंद हो गए हैं। इनमें से 412 ऐसे हैं जो जल स्तर के नीचे चले जाने के कारण पानी नहीं उगल रहे हैं। सुधार योग्य 155 हैंडपंप हैं जिनमें राइजर पाइप बढ़ाने का काम किया जा रहा है। जलसंकट से निपटने के लिए पीएचई विभाग के द्वारा 672 हैंडपंपों में सिंगल फेज की मोटर डाली गई थी लेकिन इनमें से भी 10 बंद हो गए हैं। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि आधे से भी अधिक सिगल फेज की मोटर वाले हैंडपंपों में पर्याप्त पानी ही नही है। लोगों को घंटों तक इंतजार करना पड़ता है तब कहीं जाकर एक या दो बाल्टी पानी मिल रहा है।
जिले में 30 मीटर से नीचे पहुंचा जल स्तरः
जिले में नवंबर माह में भूजल स्तर 21 मीटर पर था जो पांच माह में ही 30 मीटर से नीचे चला गया है। बताया गया है कि जिले के आठनेर, आमला, घोड़ाडोंगरी और भैंसदेही विकासखंडों में तो 32 मीटर नीचे तक जल स्तर पहुंच गया है। यही स्थिति रही तो मई माह के अंत तक इसमें और गिरावट आ जाएगी। हालांकि कुछ विकासखंडों में इतनी तेजी से जल स्तर नीचे नही पहुंचा है। किसानों के अनुसार पहले जिले में 250 से 300 फीट की गहराई तक नलकूप खनन कराने पर पर्याप्त पानी निकल जाता था। अब 500 से 700 फीट की गहराई तक नलकूप खनन कराने पर भी पर्याप्त पानी मिल जाएगा इसका कोई भरोसा नही है।
पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री रंजन सिंह ने बताया कि
जल स्तर तेजी से नीचे जाने के कारण 17 नल जल योजनाएं और लगभग 615 हैंडपंप बंद हो गए है। जिनमें राइजर पाइप बढ़ाए जा सकते हैं उनमें सुधार किया जा रहा है। अभी किसी भी गांव में पेयजल परिवहन की स्थिति नहीं बनी है।

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