बैतूल जिला पंचायत के चार वार्डो में आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती
बैतूल। बैतूल जिला पंचायत के चार वार्डो का चुनाव खटाई में पड़ सकता है। इनके आरक्षण को चुनौती देते हुए एक याचिका हाईकोर्ट में पेश की गयी है। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ता ने वार्ड नम्बर 7,8,18 और 20 का गलत आरक्षण करने का आरोप लगाते हुए इसमे बदलाव की मांग वाली याचिका दायर की है।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिलाध्यक्ष हेमन्त सरेआम ने हाईकोर्ट जबलपुर में एक याचिका पेश कर चार वार्डो में किये गए आरक्षण को गलत ठहराया है। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार और जिला निर्वाचन अधिकारी बैतूल कलेक्टर को पार्टी बनाया है। पिटीशन में कहा गया है कि बैतूल संविधान की पांचवी अनुसूची में आता है जिसकी वजह से यह अधिसूचित क्षेत्र है। इसके जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र 7, 8, 18 और 20 वार्ड शेड्यूल ट्राइब क्षेत्र में आते हैं। जो संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत आता है । यहां की जिला पंचायत सीट आदिवासी के लिए आरक्षित किया जाना था। लेकिन इसे अनारक्षित करके आदिवासियों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। याचिकाकर्ता के वकील दर्शन बुंदेला ने बताया कि यह पिटीशन हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है। इधर याचिकाकर्ता हेमंत सरेआम ने चर्चा में कहा कि पंचायत कानून पांचवी अनुसूची क्षेत्र में लागू नहीं होते हैं । पांचवी अनुसूची क्षेत्र के तहत आने वाले पंचायतों, जनपदों में सरपंच और जनपद सदस्य आदिवासी ही रहेंगे। यह आदिवासी क्षेत्र में शामिल है ।जब भी इनका आरक्षण किया जाएगा । पहले प्राथमिकता आदिवासी वर्ग को ही दी जाएगी। लेकिन पिछले 30 मई को किए गए आरक्षण में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के साथ छेड़खानी का सामान्य कानून थोप दिया गया है। जबकि आदिवासी के लिए आरक्षित क्षेत्र में राज्यपाल की अनुशंसा पर ही बदलाव हो सकता है । लेकिन यहां यह बदलाव बगैर अनुशंसा के कर दिया गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी याचिका में क्षेत्र में बदलाव किए जाने को लेकर याचिका पेश की है। जिसे स्वीकार कर लिया गया है । इससे भविष्य में यहां उपचुनाव की स्थितियां बन सकती हैं।
याचिका के मुताबिक अधिसूचित क्षेत्र में शामिल घोड़ाडोंगरी के रानीपुर,चोपना ,भैसदेही के झल्लार, और आठनेर के मांडवी में वार्ड आरक्षण का यह मामला है। जिसे याचिकाकर्ता ने आदिवसियों के लिए आरक्षित किये जाने की मांग की है।