चातुर्मास में 17 सोमवार का योग बना ,13 जुलाई को सन्यासी चातुर्मास का प्रारंभ हो जाएगा
बैतूल।।।चातुर्मास 10 जुलाई 2022 से शुरू हो चुका है. इसके साथ ही भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले गए हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ गया है. अब 4 महीने तक भोलेनाथ ही संसार का संचालन संभालेंगे.
इस बार भगवत आराधना का चातुर्मास 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से शुरू हो गई है। 13 जुलाई को सन्यासी चातुर्मास का प्रारंभ हो जाएगा। चातुर्मास की अवधि देव प्रबोधन एकादशी चार नवंबर तक रहेगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु इन चार माह की अवधि में क्षीरसागर में विश्राम करेंगे और सृष्टि की देखभाल शिवजी द्वारा संपादित की जाएगी। काल गणना के अनुसार वर्तमान समय शिव बीसी का भी चल रहा है। इसके चलते श्रद्धालुओं द्वारा साधना के अनुकूल स्थान पर रहकर शिवजी की विशेष आराधना की जाएगी।
इस बार चातुर्मास में 17 सोमवार का योग बन रहा है श्रध्दालु इन चार माह में 17 सोमवार के व्रत एवं पूजा-तप करते हुए भगवान भोलेनाथ की आराधना करेंगे। इन 17 में 12 सोमवार को विशेष योग और त्योहार भी पड़ रहे है। चातुर्मास के पहले सोमवार का प्रारंभ 11 जुलाई सोम-प्रदोष व्रत के साथ होगा। इस व्रत एवं चातुर्मास का प्रथम सोमवार होने और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से 16 सोमवार के व्रत का प्रारंभ का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। तारीख के अनुसार सोलह सोमवार इस प्रकार रहेंगे। पहला सोमवार 11 जुलाई, दूसरा 18, तीसरा 25 को, चौथा एक अगस्त को,पांचवा आठ को, छठवा 15 को, सातवा 22 को, आठवां 29 को, नौवां पांच सिंतबर को, दसवां 12 को, ग्यारहवां 19 को, 12वां 26 को, 13 वां 3 अक्टूबर को, 14 वां 10 को, 15 वां 17 अक्टूबर को, 16 वां 24 अक्टूबर को होगा। सन्यासी चातुर्मास में 16 सोमवार का योग घटित होगा। लेकिन गृहस्थ लोगों के लिए इस साल चातुर्मास में 17 सोमवार पूजा व व्रत के लिए रहेंगे। एक सोमवार की अधिकता होने के कारण चातुर्मास में शुभ फलों की वृध्दि के साथ प्राकृतिक प्रकोपों में कमी रहेंगी। इसके साथ ही व्यापार, उद्योग धंधे, कृषि क्षेत्र एवं स्वास्थ की दृष्टि से चातुर्मास का समय शुभ फलप्रद रहेगा। चातुर्मास में शहर में आचार्य व मुनि के सान्निध्य में धार्मिक आयोजन होंगे।
चातुर्मास में संत नहीं करते भ्रमण
सनातन धर्म में चातुर्मास को पूजा-साधना करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है इसलिए इस दौरान हिंदू, जैन, बौद्ध आदि धर्मों के संत आमतौर पर भ्रमण नहीं करते हैं और एक ही जगह रहकर ईश्वर की आराधना करते हैं. चातुर्मास के दौरान आम भक्त भी कई सख्त नियमों का पालन करके ज्यादा से ज्यादा समय पूजा-पाठ में ही गुजारते हैं. इस दौरान मांगलिक और शुभ काम भी नहीं किए जाते हैं.
इन देवी-देवताओं को समर्पित है चातुर्मास
चातुर्मास के हर महीने को किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है. जैसे- श्रावण मास या सावन महीने में देवाधिदेव महादेव की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. शिवभक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं. ऐसा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
इसी तरह भाद्रपद महीने में जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. संतान प्राप्ति, संतान की उन्नति, प्रेम और सुख पाने के लिए इस महीने भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. अश्विन माह में पितरों की पूजा भी की जाती है और नवरात्रि मं मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना की जाती है. इसके बाद कार्तिक माह में दीपावली मनाते हैं. तुलसी विवाह होता है. यह महीना दीपदान और दान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
चातुर्मास में न करें ये गलतियां
चातुर्मास के दौरान नॉनवेज-शराब का सेवन न करें. इस महीने में किसी के साथ ना तो बुरा करें और ना ही बुरे विचार मन में लाएं. चातुर्मास में देवी-देवताओं की ज्यादा से ज्यादा पूजा-अर्चना करें और संतों की सेवा करें. किसी का भी गलती से भी अपमान न करें.