25 साल बाद दिग्गी राजा ने मांगी माफी:1998 में मुलताई गोली कांड में 24 किसानों की हुई थी मौत, मुंबई के कार्यक्रम में खेद व्यक्त किया
By Betul Varta 9425002492
25 साल बाद दिग्गी राजा ने मांगी माफी:1998 में मुलताई गोली कांड में 24 किसानों की हुई थी मौत, मुंबई के कार्यक्रम में खेद व्यक्त किया
बैतूल।।मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 25 साल बाद बैतूल के मुलताई में हुए गोलीकांड के लिए खेद जताया है। सन 1998 में उनके मुख्यमंत्री काल में पुलिस की गोली चलाने के दौरान 24 किसान मारे गए थे। दिग्विजय सिंह ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने उद्बोधन के दौरान मुलताई गोलीकांड पर खेद प्रकट किया। इस दौरान उनके साथ मुल्ताई के पूर्व विधायक, समाजवादी नेता और गोलीकांड के बाद 65 मामलो में आरोपी बनाए गए डॉक्टर सुनील भी थे।
क्विट इंडिया मूवमेंट के तहत मुंबई में आयोजित नफरतों भारत छोड़ो अभियान के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने 9 अगस्त को देश के
सम सामयिक हालातों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज जो सच बोलता है।अन्याय का विरोध करता है सरकार उसे जेल भेज देती है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद पूर्व विधायक डॉ. सुनील का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं जब मुख्यमंत्री था तब बैतूल में बड़ी हिंसक घटना हुई। उसके लिए मैं आज भी खेद मानता हूं। प्रशासकीय प्रमुख होने के नाते कुछ फैसले लेने पड़ते है। बता दें कि 12 जनवरी 1998 को मुलताई में डॉक्टर सुनील की अगुवाई में हुए किसान आंदोलन में पुलिस के गोली चलाने में 24 किसान मारे गए थे। तब प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी।
मुलताई गोलीकांड और उसकी पृष्ठभूमि
12 जनवरी 1998 को मुलताई स्थित तहसील कार्यालय को किसानों ने दोपहर 1 बजे घेर लिया था। खराब सोयाबीन फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर किसान तहसील कार्यालय पहुंचे थे। वहां हुए पथराव के बाद पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और लाठीचार्ज शुरू कर दिया। कहा जाता है कि बेकाबू किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बिना किसी सूचना के फायरिंग शुरू कर दी। इसमें 19 किसानों की मौत हो गई थी। बाद में 5 अन्य ने भी घायलवस्था में दम तोड़ दिया।
दरअसल, मुलताई इलाके में सोयाबीन की खेती खूब होती है। साल गेरुआ बीमारी की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो गई थी। इसके साथ ही रही सही कसर बेमौसम बरसात ने पूरी कर दी थी। लेकिन किसानों की बात कोई सुनने वाला नहीं था। इस बीच जनता दल के प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने डॉ. सुनीलम बैतूल पहुंचे थे। इस बीच उन्होंने देखा कि सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। उसके बाद मुलताई के किसानों के साथ उन्होंने 25 दिसंबर 1997 को मुलताई तहसील के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया।
धरने के दौरान उन्होंने आसपास के 400 गांवों का दौरा भी किया। इसके साथ ही एक किसान संघर्ष समिति भी बनाई गई। इसी के बैनर तले इलाके में महापंचायत बुलाई गई। किसान नेताओं ने इसके बाद एक मांग पत्र बनाया। 9 जनवरी 1998 को इस महापंचायत के बाद बैतूल पुलिस ग्राउंड में हजारों की संख्या में किसान जमा हो गए। किसान प्रति एकड़ 5000 रुपये की मुआवजा मांगने लगे। लेकिन तत्कालीन कलेक्टर इतनी राशि देने को तैयार नहीं थे। साथ ही किसान आधी कीमत पर राशन की मांग कर रहे थे।
किसानों ने चेतावनी दी थी कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो 2 दिन के अंदर मुलताई किसान कार्यालय पर ताला जड़ देंगे। लेकिन सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। फिर 12 जनवरी को मुलताई तहसील कार्यालय को घेर लिया गया। किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने जबरदस्ती फायरिंग शुरू कर दी है। जिसमें 24 किसानों की मौत हुई। इस गोलीकांड के बाद सैकड़ों किसानों पर दर्जनों मुकदमे लाद दिए गए थे। आन्दोलन के अगुवा डॉक्टर सुनील पर 65 मामले दर्ज किए गए थे।