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बाणी गुरु, गुरु है बाणी, विच बाणी अमृत सारे  गुरुद्वारा में मनाया श्री गुरु ग्रंथ साहेब का प्रकाश पूरब 

By वामन पोटे Betul Varta

बाणी गुरु, गुरु है बाणी, विच बाणी अमृत सारे
गुरुद्वारा में मनाया श्री गुरु ग्रंथ साहेब का प्रकाश पूरब
बैतूल। श्री गुरु ग्रंथ साहेब का पहला प्रकाश पूरब रविवार को स्थानीय गुरुद्वारा गुरु सिंघ सभा में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ साथ मनाया गया। सुबह सबसे पहले 4.45 को धन धन श्री गुरु ग्रंथ साहेब का प्रकाश फूलो की बरखा करते हुए वाहेगुरु के जाप के साथ किया गया। जिसमें गुरुद्वारा गुरु सिंघ सभा के हजूरी रागी भाई किशन सिंघ द्वारा नितनेम के पाठ के साथ अपनी अमृतमयी बाणी से समूह गुरु नानक नाम लेवा संगत को निहाल किया गया। बाद में सुबह 11.30 बजे से 1.30 बजे तक विशेष कीर्तन दीवान में भाई किशन सिंघ द्वारा ” जब बाणी गुरु, गुरु है बाणी विच बाणी अमृत सारे ” शबद से समूह संगत को निहाल किया। समाप्ति पर दोपहर 1.30 बजे से गुरु का अटूट लंगर आयोजित किया गया। मान्यता है कि इस दिन  1604 में गुरु अर्जन देव ने दरबार साहेब अमृतसर में पहली बार गुरु ग्रंथ साहेब का प्रकाश किया था। पहले प्रकाश पर संगत ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा ने बाणी को आद ग्रंथ से पढ़ने की शुरुआत की। बाबा बुड्ढा पहले ग्रंथी बने, उसी दिन से दरबार साहेब अमृतसर में लगातार बाणी को पढ़ा और गाया जा रहा है। इसके द्वारा मानवता में गुरु के उपदेशों को पहुंचाया जा रहा है। इसी दिन को हर सिख समाज और गुरु ग्रंथ साहेब को मानने वाला बड़ी श्रद्धा से मनाता है।

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