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बैतूल में थर्मल पावर प्रोजेक्ट का विरोध:गोगापा ने ज्ञापन भेजकर मांगा मुआवजा, बोले- ग्रामीणों के फेंफड़ों को हो रहा नुकसान

By बैतूल वार्ता

बैतूल में थर्मल पावर प्रोजेक्ट का विरोध:गोगापा ने ज्ञापन भेजकर मांगा मुआवजा, बोले- ग्रामीणों के फेंफड़ों को हो रहा नुकसान

बैतूल।।

ब्राहम्णवाड़ा रैय्यत में मेसर्स एम.पी. पावर जनरेटिंग कंपनी सारणी के प्रस्तावित प्रोजेक्ट का गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा विरोध किया जा रहा है। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट से मानव जीवन के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

गौरतलब है कि कंपनी द्वारा क्षमता विस्तारीकरण के उद्देश्य से 1X660 मेगावॉट सतपुडा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट ( विस्तार चरण वी. युनिट नंबर 12 ) प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसको लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने विरोध के स्वर मुखर कर दिए हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का कहना है कि पूर्व में स्थापित प्रोजेक्ट से क्षेत्र के ग्रामीणों के फेफड़ों को नुकसान हुआ है। इस संबंध में उन्होंने इन ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की है, वहीं प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की भी मांग की है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, अध्यक्ष राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( नई दिल्ली ) के नाम क्षेत्रिय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड छिंदवाड़ा को ज्ञापन प्रेषित कर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया है।
भूमिगत कोयला खदान संचालित होने से मौत के मुहाने पर ग्रामीण
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष हेमंत सरियाम ने बताया कि कि सतपुडा विद्युत ताप गृह केन्द्र वर्तमान क्षमता लगभग 13 सौ मेगावॉट के आस-पास है। देश में करीब 60 फिसदी बिजली कोयले से 16.1 फिसदी अक्षय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा बायो गैस से, 14 फिसदी पानी से 8 फिसदी गैस से, 1.8 फिसदी न्यूक्लियर ऊर्जा तथा 0.3 डीजल से पैदा की जाती है।बिजली पैदा करने के लिए भले ही ऊर्जा के स्त्रोत का इस्तेमाल किया जाए, सभी थर्मल पावर प्लांट में इसके लिए बायलर का इस्तेमाल होता है। जिसमें इंधन को जलाकर उष्मीय ऊर्जा पैदा की जाती है जिसे पानी को र्गम कर भाप बनाई जाती है जो टरबाइन को चलाई में इस्तेमाल होती है। जिला बैतूल में सतपुडा विद्युत ताप गृह केन्द्र की स्थापना के पूर्व बड़े स्तर पर जनजाति गाँवो का विस्थापन किया गया, जिन ग्रामो में उन्हें विस्थापित किया गया आज उन स्थानों के नीचे भूमिगत कोयला खदान संचालित होने से उनका जीवन मौत के मुहाने पर व्यतीत हो रहा है।
चिमनियों की राख से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव
वर्तमान में संचालित सतपुडा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट की चिमनिया से निकलने वाली राख तथा धुओ से वनग्राम सारणी, धसेड़, पाठाखेड़ा, घोघरी, रैय्यावाडी, मोरदोंगरी, छतरपुर, बगडोना, शोभापुर, पाथाखेडा आदि ग्रामों के ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कई ग्राम वासियों के फेफड़ो को हानि पहुंची है। थर्मल पावर प्रोजक्ट में उपयोग किये जाने वाले पानी से आक्सीजन वायु कम होने से भी मानव जीवन तथा जीवन तथा जंतुओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। प्रस्तावित 1X660 मेगावॉट थर्मल पावर प्रोजेक्ट भविष्य में स्थानीय लोगों के क्षय रोग का कारण साबित हो सकता है। चूकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण तथा पर्यावण सरक्षण को दृष्टिगत रखते हुये उष्मीय ऊर्जा पैदा करने वाली परियाजना पर वैश्विक प्रतिबंध लगाया गया है। हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने मधुसुदन रोंघटा की याचिका पर चन्द्रपुर सुपर थर्मल पावर पर मानव जीवन तथा पर्यावरण की दृष्टि से पाबंदी लगाई है तथा जन जीवन स्वास्थ्य को देखते हुये करोड़ों रुपये का जुर्माना देने के आदेश दिये है।
अनुच्छेद 244 (1) से जुड़े प्रावधानों की अनदेखी के आरोप
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित परियोजना चालू करने के पूर्व भारतीय संविधान अनुच्छेद 244 ( 1 ) से जुड़े प्रावधानों की अनदेखी की गई है। पार्टी ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय हरित अभिकरण अध्यक्ष से आग्रह किया कि मानव जीवन तथा पर्यावरण प्रदूषण को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तावित परियोजना पर रोक लगाई जाए एवं लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।

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